हे गिरिजा पुत्र भगवान श्री गणेश आपकी जय हो। आप मंगलकारी हैं, विद्वता के दाता हैं, अयोध्यादास की प्रार्थना है प्रभु कि आप ऐसा वरदान दें जिससे सारे भय समाप्त हो जांए।
अर्थ: हे भोलेनाथ आपको नमन है। जिसका ब्रह्मा आदि देवता भी भेद न जान सके, हे शिव आपकी जय हो। जो भी इस पाठ को मन लगाकर करेगा, शिव शम्भु उनकी रक्षा करेंगें, आपकी कृपा उन पर बरसेगी।
कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
महाभारत Shiv chaisa काल से दिल्ली के प्रसिद्ध मंदिर
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
कानन कुण्डल नागफनी के ॥ अंग गौर शिर गंग बहाये ।
शिव पूजा में सफेद चंदन, चावल, कलावा, धूप-दीप, पुष्प, फूल माला और शुद्ध मिश्री को प्रसाद के लिए रखें।
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। येहि अवसर Shiv chaisa मोहि आन उबारो॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥ पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा ।
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥